क्या बांग्लादेश से भी भारत धीरे-धीरे हो रहा है बेदख़ल BBC News हिंदी
इसके अलावा कोरोना काल में भी कई बार ऐसे हालात बन गए जिससे दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव पैदा हो गया. कोविड-19 महामारी के शुरू होने से लेकर अभी तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसी विदेश यात्रा पर नहीं गए हैं. भारत बांग्लादेश को कपास, मशीनरी और खाद्य उत्पादों सहित कई तरह के सामान निर्यात करता है, जबकि जूट और मछली जैसे सामान आयात करता है. बुधिया ने कहा कि आपूर्ति में व्यवधान इन क्षेत्रों को प्रभावित कर सकता है और सीमा बंद होने या सुरक्षा बढ़ाने वाले किसी भी संकट से माल का प्रवाह बाधित हो सकता है. फियो के क्षेत्रीय चेयरमैन (पूर्वी क्षेत्र) योगेश गुप्ता ने कहा कि इस घटनाक्रम का द्विपक्षीय व्यापार पर प्रभाव पड़ेगा.
ट्रांसशिपमेंट सुविधा वापस लेने का कारण
ये वही जमात-ए-इस्लामी है, जो अपने भारत विरोधी रुख के लिए कुख्यात है. जबकि ICS बांग्लादेश के सीमाई इलाकों में अशांति फैलाने की कोशिश करता है. खबरों के मुताबिक भारत विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने के चलते ही. ICS पर भारतीय खुफिया एजेंसियों की नजर रहती है…कहा तो ये भी जाता है कि ICS. उस हरकत-उल-जिहाद-अल-इस्लामी यानी हूजी से भी हाथ मिला चुका है…जो पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के साथ मिलकर काम करता है.
दक्षिण एशिया की भू-राजनीति के जानकार और साउथ एशियन यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफ़ेसर धनंजय त्रिपाठी मानते हैं कि भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव पर अफ़ग़ानिस्तान को छोड़कर बाक़ी देश तटस्थ रहेंगे. अगस्त 2024 से देश में भारी अशांति के कारण बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. फरवरी में यह जानकारी मिली थी कि देश के व्यापार क्षेत्र में बड़ा संकट है, जिससे कई वाणिज्यिक और औद्योगिक प्रतिष्ठान बंद हो रहे हैं. बांग्लादेश सरकार के कॉमर्स सलाहकार शेख़ बशीरुद्दीन ने भारत के फ़ैसले को ‘अचानक’ किया गया फ़ैसला बताया. उनका कहना है कि इससे बांग्लादेश के व्यापार पर कोई असर नहीं पड़ेगा. «लॉजिस्टिक्स में देरी और उच्च लागत के कारण हमारे अपने निर्यात में बाधा आ रही थी और बैकलॉग भी बन रहा था. इसलिए, यह सुविधा वापस ले ली गई है. लेकिन इसका भारत से होकर नेपाल और भूटान को जाने वाले बांग्लादेश के निर्यात पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.»
चारों तरफ अशांति ही अशांति… अब बांग्लादेश ने बढ़ाई चिंता, पड़ोस को कैसे साधेगा भारत?
बनारसी और हरदेव की तरह बंगड़ी गांव की लैला खातून और उनके पति सैनुद्दीन जिप स्लाइडर बनाने और लूपी काटने के काम में ठीक-ठाक पैसे कमा रहे हैं. वे भी अपने इलाके की महिलाओं को लूपी और स्लाइडर देकर उनके काम करवा रहे हैं. सैनुद्दीन बीस साल से कलकत्ता में रहकर वॉलेट सिलने का काम कर रहे थे. मगर लैला खातून का काम जब काफी बढ़ गया तो उन्होंने अपने पति से कहा, काम छोड़कर यहीं आ जाइए.
वो समझ ही नहीं पाईं कि हो क्या रहा है या समझने की कोशिश भी नहीं की कि देश के युवा चाहते क्या हैं. चीन से वापस आते ही शेख़ हसीना ने भारत के लिए एक बड़ा एलान कर दिया था. शेख़ हसीना का कहना था कि तीस्ता परियोजना में भारत और चीन दोनों की दिलचस्पी थी लेकिन वह चाहती हैं कि इस परियोजना को भारत पूरा करे.
ये दिग्गज उद्योगपति होंगे शामिल
बांग्लादेश में भारत की पूर्व उच्चायुक्त वीना सीकरी विदेशी ताकतों के शामिल होने की बात से इनकार नहीं करतीं. ऐसा माना गया कि शेख़ हसीना जो सोचकर चीन गई थीं, वो हासिल नहीं हुआ. तुर्किए की रक्षा तकनीक तुर्किए की रक्षा तकनीक और उपकरणों जैसे ड्रोन और टैंकों की आपूर्ति, बांग्लादेश की सैन्य क्षमताओं को मजबूत कर सकती है, जिससे क्षेत्रीय शक्ति संतुलन में बदलाव आ सकता है. भारत को इस उभरते हुए समीकरण का सावधानीपूर्वक आकलन करना होगा और अपनी क्षेत्रीय रणनीति में बदलाव करना होगा ताकि वह इस चुनौती का सामना कर सके. अमेरिका ने अदानी से पहले भारत पर आरोप लगाया था कि भारत सरकार के एक कर्मचारी ने न्यूयॉर्क में अमेरिकी नागरिक और सिख अलगाववादी नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू को मारने की साज़िश रची थी.
बांग्लादेश के साथ आर्थिक रिश्ते मजबूत बनाने के लिए चीन लगातार अपनी कोशिशें बढ़ा रहा है. जिस तरह चीन बांग्लादेश में चल रहे प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन कर रहा है और चीन के राजदूत वहां के व्यापारिक मंचों पर चीन के आर्थिक प्रस्तावों को रखने में सक्रिय दिख रहे हैं, इससे बांग्लादेश में चीन की बढ़ती दिलचस्पी साफ़ झलकती है. एडीएसएम (ADSM) लीडर और ‘जातीय नागरिक कमेटी’ के संस्थापक सरजिस आलम ने 7.65 मिलियन डॉलर (65 करोड़ रुपये) क्रिप्टोकरेंसी टेथर (Tether) में निवेश किए. सामान्य परिवार से आने वाले आलम का इतनी बड़ी संख्या में निवेश करना विदेशी फंडिंग की ओर इशारा कर रहा है. बाग्लादेश में चीन स्पेशल इकनॉमिक ज़ोन भी बनाने पर विचार कर रहा है. फ़ाइनैंशल टाइम्स के अनुसार चीन की एक कंपनी ने चटगांव में 5 अरब डॉलर के एक इकनॉमिक ज़ोन बनाने की पेशकश की है.
वो चीनी प्रस्तावों का स्वागत तो कर रही है, लेकिन भारत और जापान जैसे एशियाई देशों के साथ आर्थिक संबंधों को मज़बूत बनाने की इच्छा भी खुले तौर पर जाहिर कर रही है. बांग्लादेश-भारत के बीच सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध रहे हैं, लेकिन चीन की बढ़ती मौजूदगी के सामने ये संबंध फीके पड़ते दिख रहे हैं. गेटवे हाउस के मुताबिक़ चीन बांग्लादेश में 31 अरब डॉलर के प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है.
- 1972 में UNSC के स्थायी सदस्य होने के नाते चीन ने खुद बांग्लादेश के यूएन में सदस्यता पर वीटो लगाया, यही नहीं 1975 में बांग्लादेश के साथ द्वीपक्षिय रिश्ते स्थापित करने से पहले चीन ने अपने ऑल वेदर फ्रेंड पाकिस्तान को आश्वस्त किया था.
- «छह महीने पहले ही शेख़ हसीना सरकार ने अचानक देश में ईंधन की क़ीमत में 50 फ़ीसदी की बढ़ा दी थी. बांग्लादेश में भारत-विरोधी सेंटीमेंट इतने ज़्यादा हैं कि लोग इस तरह के निवेश को किनारे करके भारत के बांग्लादेश की आंतरिक राजनीति में दखल पर फ़ोकस करते हैं.»
- द इंडियन एक्सप्रेस के एक लेख में कहा गया है कि यूनुस का अमेरिकी दौरा, पश्चिमी देशों का भरोसा जीतने के मकसद से किया गया था.
- पुल की कुल लागत में 70 फ़ीसदी से ज़्यादा पैसा चीन का लगा है.
जनरल वकार-उज़-ज़मां से স্মার্ট বিনিয়োগ প্ল্যাটফর্ম प्रथम आलो ने सवाल पूछा था- भारत के साथ हमारे कई मुद्दे हैं. हमने हाल ही में देखा कि दोनों देशों के बीच कई अनसुलझे मुद्दों पर बात हुई है. पिछले कुछ हफ़्तों से बांग्लादेश में आर्थिक गतिविधियां लगभग थम सी गई थीं. हालांकि पहली बार भारत बांग्लादेश सीमा पर कुछ बॉर्डर पोस्टों पर गुड्स ट्रकों की आवाजाही आंशिक रूप से शुरू हुई. पिछले कुछ दिनों से बांग्लादेश में राजनीतिक संकट की वजह से सैकड़ों गुड्स ट्रक सीमा पर फंसे हुए थे.
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